उत्पत्ति 32-33
याकूब अपने चाचा लाबान के साथ चौदह साल रहा। इस दौरान, उसने लाबान के लिए और अपने लिए काम किया और बहुत अमीर बन गया। फिर उसने कनान देश लौटने का निर्णय लिया, जिसे उसके वंशजों को देने का वादा परमेश्वर ने उससे किया था। इसलिए उसने अपनी पत्नियों, पुत्रों और सामान को इकट्ठा किया और चल पड़ा।
रास्ते में, वह अपने भाई एसाव से डरने लगा, जिसे उसने धोखा दिया था और जिसके प्रतिक्रिया से वह भयभीत था। अतः उसने अपने भाई के लिए दो सौ मादा बकरियों, बीस नर बकरियों, दो सौ भेड़ों, बीस मेढ़ों, तीस ऊँटों और उनके बच्चों, चालीस बछियों, दस बैलों, बीस मादा गधों और दस नर गधों की भेंट आगे भेजी।
अगले दिन, उसने एसाव को चार सौ पुरुषों के साथ अपनी ओर आते हुए देखा। वह नहीं जानता था कि उसके भाई को उसकी भेंट पसंद आई या नहीं। इसलिए उसने अपने भाई को आदर दिखाने के लिए सात बार ज़मीन पर गिर पड़ा। किन्तु एसाव उसे मिलने के लिए दौड़कर आया, उसे गले लगाया और चूमा। वे दोनों भावुक होकर रोने लगे। उन्होंने कुछ समय एक साथ बिताया और फिर अलग-अलग रास्ते चले गए।