एक कछुआ हमेशा धीरे से चलता था। इसलिए एक खरगोश उसका मज़ाक उडाता था। एक दिन कछुआ खरगोश को दौड़ के लिए चुनौती दी। खरगोश ने चुनौती स्वीकार की और दौड़ शुरू हुआ। खरगोश तेज़ भागा और कुछ ही क्षण में कछुए से बहुत आगे था।
जब खरगोश को समापन रेखा नज़र में आई, उसने सोचा, “मैं अभी समापन रेखा पार नहीं करूंगा। मैं इस पेड़ के नीचे थोड़ा विश्राम करूंगा। जब कछुआ इधर तक पहुँचेगा, मैं समापन रेखा पार करूंगा।” खरगोश पेड़ के नीचे लेट गया और थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में डूब गया। जब उसने आँखें खोली, उसने देखा कि कछुआ समापन रेखा पार चुका था। खरगोश को हार मानना पड़ा।