एक बुढ़िया को दो नौकर थे। हर सवेरे बुढ़िया मुर्गे की बाँग सुनकर उठती थी। तब वह अपने नौकरों को भी जगाती थी और उन्हें दिन का काम शुरू करने के लिए कहती थी। नौकरों को इतनी जल्दी उठना पसंद नहीं था। वे ज्यादा समय सोने के लिए कुछ न कुछ उपाय ढूंढ रहे थे।
“हम मुर्गे का वध करेंगे।” एक नौकर दूसरे से कहा। “मुर्गा नहीं रहेगा तो बुढ़िया इतनी जल्दी नहीं उठेगी और हम सवेरे में ज्यादा समय सो सकेंगे।”
दूसरा नौकर इस उपाय से सहमत हुआ। अगले दिन दोनों नौकरों ने मुर्गे का वध किया। अब बुढ़िया को सही समय जानने का कोई मार्ग नहीं था। वह पहले से भी जल्दी उठने लगी। उठने के बाद वह तुरंत नौकरों को भी उठाती थी। मुर्गा मारा गया। लेकिन नौकरों को पहले से ज्यादा मुसीबत सहनी पड़ी।
गलत इलाज रोग से भी बुरी है।